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मोदी सरकार अपना अंतिम पूर्णकालिक बजट पेश करने जा रही है। लेकिन बजट पूर्व कराए गए एनबीटी-सी वोटर सर्वे में एनडीए सरकार के लिए चिंता बढ़ाने वाली बातें सामने आई हैं। देश के 52 शहरों के छह हजार से अधिक लोगों के बीच कराए गए इस सर्वे में सबसे अहम बात यह उभर कर आई कि भले अधिकतर लोग अब भी सरकार के साथ हैं लेकिन इस साथ में पिछले एक साल में बड़ी गिरावट आई है। एक साल पहले जो लोग सकारात्मक थे, वे भी कई मोर्चों पर सरकार से निराश दिख रहे हैं। अपनी आय, महंगाई और सरकार की नीतियों को लेकर निराश लोगों की तादाद तेजी से बढ़ी है। साथ ही में कोंग्रेस और राहुल गांधी को लोग पहेले से ज्यादा पसंद करने लगे है।
बजट पूर्व सर्वे सरकार के के लिए दोहरी चुनौती पेश कर रहा है। दो दिन पहले इसी एनबीटी-सी वोटर के जरिए देश का मिजाज जानने की कोशिश की गई थी। तब यह बात सामने आई थी कि ग्रामीण इलाकों में किसान सरकार की नीतियों से दु:खी हैं और वे बड़ी राहत की अपेक्षा कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों और युवाओं में सरकार की लोकप्रियता में कमी का साफ ट्रेंड दिखा था। इसके अलावा शहरी मिडल क्लास तो मोदी सरकार के साथ था लेकिन साढ़े तीन का टर्म पूरा होने के बाद कई मोर्चे पर उनकी अपेक्षाएं भी बढ़ती दिखी थीं।
मोदी सरकार के लिए चुनौती इस बजट के जरिए ग्रामीण और शहरी, दोनों आबादी को खुश करने के साथ राहत देना भी है। इस दोहरी चुनौती से सरकार किस तरह निपटती है, वह एक फरवरी को पता चलेगा। हालांकि पीएम मोदी ने संकेत दिए थे कि वह लोकलुभावन नहीं, आर्थिक मजबूती की दिशा देने वाले बजट के पक्ष में हैं।
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